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नज़रिया

14 फरवरी को पुलमामा में हुए आतंकी हमले से सारा देश गुस्से में है। देश की जनता ने अपने-अपने तरीके से सरकार के सामने गुस्सा ज़ाहिर भी किया है। लोग हमले की ज़िम्मेदारी लेने वाले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और उसके पनाहगार पाकिस्तान से बदला लेने के लिए सरकार से कह रहे हैं। सरकार ने भी कूटनीतिक कदम उठाते हुए पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरना शुरू कर दिया है। यहाँ एक बात और गौर करने लायक है कि यह हमला इतने बड़े स्तर पर हो कैसे गया? 350 किलो विस्फोटक से भरी गाड़ी मुख्य सड़क तक पहुँची कैसे? हमारी सुरक्षा व्यवस्था में कहीं-न-कहीं ख़ामियाँ रही होंगी, जिनका फायदा उठाया गया है और इसमें किसी-न-किसी ने उनका साथ दिया है। कोई तो भेदी है देश का, जिसने जवानों की बलि देकर उनका साथ दिया है। बिना किसी की मिली-भगत के यह होना संभव नहीं है। लोगों ने पाकिस्तान और मसूद अज़हर के खिलाफ कार्यवाही के लिए सरकार  पर दबाव बनाया पर हमें उस भेदी को भी नहीं भूलना चाहिए। सरकार अपने स्तर पर जाँच करेगी पर जिस तरह देश ने आतंकियों के खिलाफ नारे लगाए, उनमें कुछ नारे या कहें कि हमारे गुस्से का थोड़ा अंश ऐसे लोगों के खिलाफ भी होना चाहिए, जिन्होंने देश से गद्दारी की है। एक बार तो उनकी रूह भी काँपनी चाहिए। उनके नाम उजागर किए जाने चाहिए ताकि दोबारा अगर कोई मातृभूमि से नमक हरामी करने के बारे में सोचे भी तो उसका दिल दहले कि कानून तो बाद में सज़ा देगा पहले देश की जनता उसे जीने लायक नहीं छोड़ेगी।

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